ECLGS for Retail Sector : महामारी से उबर रहे खुदरा क्षेत्र के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की जरूरत है. इससे गरीबों के हाथों में अधिक पैसा आएगा क्योंकि दो साल में कोरोना ने गरीब वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है.
आरएआई के सीईओ (CEO) कुमार राजगोपालन (Kumar Rajagopalan) का कहना है कि महामारी से जुड़े प्रतिबंधों ने रेस्टोरेंट्स (Restaurants), छोटे दुकानों (Shops), सैलून (Salons) आदि जैसे हाई कॉन्टैक्स सेक्टर्स को प्रभावित किया है. इसलिए खुदरा क्षेत्र के लिए ईसीएलजीएस की घोषणा की जानी चाहिए. हालांकि, खुदरा क्षेत्र को हाल में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) के तहत प्राथमिकता क्षेत्र लेंडिंग दिशानिर्देशों (Priority Lending Guidelines) में शामिल किया गया है, लेकिन यह जरूरी है कि उसे एमएमएसई नीतियों के तहत मिलने वाला समर्थन दिया जाए. इससे 90 फीसदी खुदरा क्षेत्र को एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.
ONDC के जरिये विक्रेताओं को बना सकते हैं सक्षम
राजगोपालन ने कहा कि डिजिटलीकरण के लिए वित्तीय सहायता भी खुदरा क्षेत्र को बेहतर ढंग से बढ़ावा देने में मदद कर सकती है. डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ONDC) के जरिये खुदरा विक्रेताओं को सक्षम बनाकर इस क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सकता है.
जीएसटी बढ़ाने से खपत में आएगी गिरावट
आरएआई ने सरकार से कपड़े, भोजन और हाउसिंलग पर जीएसटी (GST) दरों में बढ़ोतरी नहीं करने अपील की. साथ ही कहा कि इन पर जीएसटी की दर बढ़ाने से लोगों की खपत पर सीधा असर पड़ेगा. इससे कारोबार प्रभावित होगा. एसोसिएशन ने कहा कि अधिक अनुमानित जीएसटी व्यवस्था के लिए एक दिशा का स्वागत किया जाएगा. जीएसटी को आगे ले जाने और रिफंड के लिए कई क्लॉज स्पष्टीकरण की आवश्यकता है. खुदरा और आंतरिक व्यापार के लिए एक राष्ट्र-स्तरीय नीति के निर्माण के लिए दिशात्मक समर्थन से मदद मिलेगी.
गरीबों को पैसा देकर महंगाई का कर सकते हैं सामना
राजगोपालन ने कहा कि रिवर्स माइग्रेशन (Reverse Migration) और लॉकडाउन (Lockdown) के कारण महामारी के दौरान कई लोगों के पास नौकरी नहीं थी. इसलिए ऐसे लोगों के हाथ में पैसा देना जरूरी है. कोई भी योजना जो गरीबों की खर्च करने की शक्ति को बढ़ाने में मदद करती है, उसका स्वागत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वेतनभोगी वर्ग को पैसा मिलने से भरोसा बढ़ने के साथ उपभोग बढ़ाने में मदद मलेगी. बढ़ती महंगाई चिंता का विषय है. उपभोक्ता वर्ग के पास ज्यादा पैसा होने पर ही इसका बेहतर तरीके से सामना किया जा सकता है.
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