RPN Singh News: RPN Singh News: उत्तर प्रदेश (UP Election 2022) में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देकर आरपीएन सिंह (RPN Singh) भाजपा में शामिल हो गए हैं. सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजकर कांग्रेस को बड़ी चोट देने वाले आरपीए सिंह (RPN Singh News) की भाजपा में एंट्री से भाजपा की उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी कमी पूरी होने वाली है. यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके आरपीएन सिंह (RPN Singh BJP) के भाजपा का दामन थामने के बाद यूपी का सियासी समीकरण फिर से बदल गया. दोबारा सत्ता में आने की चाहत रखने वाली भाजपा को स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद जिस ओबीसी चेहरे की सबसे कमी खल रही थी, उसको आरपीएन सिंह ने पूरा कर दिया है.
भाजपा को स्वामी की कमी खल रही थी
दरअसल, आरपीएन सिंह के भाजपा का दामन थामने से पूर्वांचल और खासकर कुशीनगर का सियासी समीकरण एक बार फिर से बदल जाएगा. पूर्वांचल में भाजपा को स्वामी प्रसाद मौर्य के रूप में ओबीसी चेहरे की कमी खल रही थी, मगर अब आरपीएन सिंह उस कमी को पूरा कर देंगे, क्योंकि आरपीएन सिंह भी ओबीसी समुदाय से आते हैं. इसके अलावा कुशीनगर में उनके राज परिवार का भी दबदबा है, इसलिए अब कुशीनगर जिले के साथ-साथ पूर्वांचल की सियासत एक बार फिर से बदल सी गई है. पडरौना सीट से सपा की ओर से स्वामी प्रसाद मौर्य के उतरने की संभावना है, मगर अब आरपीएन सिंह की भाजपा में एंट्री से मौर्य की मुसीबत बढ़ जाएगी.
पूर्वांचल में है आरपीएन सिंह का दबदबा
आरपीएन सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से हैं. पूर्वांचल इलाके में इस जाति के लोग काफी संख्या में हैं. इतना ही नहीं, कांग्रेस के लिए आरपीएन सिंह पूर्वांचल में सबसे बड़ा चेहरा रहे थे. ऐसे में जब आरपीए सिंह भाजपा में शामिल होंगे तो आरपीएन सिंह के सियासी दबदबे का फायदा भाजपा को मिलना साफ है. इस तरह से स्वामी के जाने से जिस तरह से भाजपा ओबीसी चेहरा के क्राइसिस से जूझ रही थी, उसकी पूर्ति हो गई है. केंद्रीय मंत्री रह चुके आरपीएन सिंह का पडरौना सीट पर दबदबा रहा है. 1996 में वह पहली बार इस सीट से विधायक बने और 2009 तक विधायक रहे. 2009 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को मात दी थी, जिसके बाद विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य विजय हुए थे. हालांकि, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में आरपीएन सिंह को भाजपा प्रत्याशी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था.
पडरौना का जातिगत समीकरण
अगर पडरौना विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब 18% है तो वहीं दूसरे नंबर पर कुशवाहा मतदाता है, जो 16% हैं. जाटव 15%, ब्राह्मण 12%, यादव 10%, सैंथवार 8% और अन्य जातियां करीब 11% हैं. वहीं, कुशीनगर की बात करें तो आबादी के हिसाब से यूपी में सबसे घनी आबादी वाला जिला माना जाता है. 2011 की जनगणना के मुताबिक कुशीनगर की आबादी 35.6 लाख है. यहां सामान्य वर्ग की 82 फीसदी, अनुसूचित जाति की 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की 2 फीसदी आबादी है. यहां पर हिन्दुओं की 82.28 फीसदी तो मुस्लिमों की 17.4 फीसदी आबादी है.
कौन हैं आरपीएन सिंह (RPN Singh)
कुशीनगर में पडरौना के राजा कहे जाने वाले कुंवर रतनजीत प्रताप नरायन सिंह (आरपीएन सिंह ) बहुत पुराने कांग्रेसी रहे हैं. आरपीएन सिंह के पिता सीपीएन सिंह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. आरपीएन सिंह पडरौना विधानसभा से तीन बार विधायक रहे हैं. मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम,प्राकृतिक गैस,कॉरपोरेट मामला,सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं. ओबीसी जाति से आने के कारण अच्छी पकड़ है. इतना ही नहीं, आरपीएन सिंह सभी जाति के वर्ग में अच्छी पकड़ है।
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