बिहार शराबबंदी अधिनियम में जल्द होगा संशोधन, मंत्री बोले- पत्थर की लकीर नहीं होता कोई कानून - Everything Radhe Radhe

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Tuesday, 1 February 2022

बिहार शराबबंदी अधिनियम में जल्द होगा संशोधन, मंत्री बोले- पत्थर की लकीर नहीं होता कोई कानून

 


Bihar Liquor Prohibition Law: मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि शराबबंदी कानून (Liquor ban in bihar) में संशोधन पर काम चल रहा है. इसे कैसे और बेहतर बनाया जाए, इस पर मंथन हो रहा है. मंत्री ने आगे बताया कि फिलहाल नए प्रस्ताव को कानूनी रूप दिया जा रहा है. महीने-दो महीने में इसके परिणाम सामने आएंगे. मंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून (Liquor ban in bihar) में संशोधन पर काम चल रहा है. इसे कैसे और बेहतर बनाया जाए, इस पर मंथन हो रहा है.


पटना. पिछले कुछ समय से चर्चा चल रही है कि बिहार में शराबबंदी कानून (bihar alcohol prohibition law) में बदलाव होने जा रहा है. हालांकि, इसे लेकर अब तक कुछ साफ नहीं हो पाया है. वहीं, इस मामले पर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने अब स्पष्ट संकेत दे दिया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून (Liquor ban in bihar) में संशोधन पर काम चल रहा है. इसे कैसे और बेहतर बनाया जाए, इस पर मंथन हो रहा है. मंत्री ने आगे बताया कि फिलहाल नए प्रस्ताव को कानूनी रूप दिया जा रहा है. महीने-दो महीने में इसके परिणाम सामने आएंगे.

बता दें कि राज्य में शराब से जुड़े लगातार मामले सामने आने के बाद शराबबंदी कानून को असफल बताया जा रहा था. साथ ही कई राजनेता नीतीश सरकार (Nitish government) पर सवाल खड़े कर रहे थे. सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्री सुनील कुमार (Minister Sunil Kumar) ने कहा कि  कोई भी कानून पत्थर की लकीर नहीं होता. जरूरत पड़ने पर आवश्यक सुधार होते रहते हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी पर राजनीतिक एवं भ्रामक बयानबाजी हो रही है, जो गलत है. मालूम हो कि बिहार नालंदा, सारण और बक्सर जिलों में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की जान चुकी है. विपक्ष ने इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. 

जहरीली शराब से मौत का शराबबंदी से कोई लेना देना नहीं 
राज्य में शराब से हुई मौतों पर मंत्री ने कहा कि जहरीली शराब से मौत का शराबबंदी से कोई लेना-देना नहीं है. साल 2016 में शराबबंदी लागू होने से पहले भी जहरीली शराब से मौत होती थीं. जहरीली शराब से मौत के पीछे आर्थिक कारण हैं. उन्होंने कहा कि  जिस तरह नकली दवा और खाद्य पदार्थों की अवैध बिक्री की जाती है, वैसे ही नकली शराब की भी बिक्री हो रही है.सुनील कुमार ने कहा कि चंद धंधेबाज गलत तरीके से शराब बनाते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों इसे खरीदते हैं क्योंकि ऐसी शराब की कीमत कम होती है. मतलब साफ है कि जहरीली शराब से हुई मौत का कारण शराबबंदी कानून नहीं है. अवैध शराब आर्थिक रूप से कमजोर लोग पीकर मरते हैं.मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के पहले भी बिहार में जहरीली शराब से मौतें होती रही हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भोजपुर में 2012-13 में 21 लोगों की मौत हुई थी. कैमूर में 2019 में 4, 1998 में कटिहार में 35 लोगों की मौत हुई थी.

जहां कोई कानून नहीं वहां भी जहरीली शराब से हो रही है मौत
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, वहां भी जहरीली शराब से मौत हो रही है. कनार्टक में साल 2008 में जहरीली शराब से 345 लोगों की मौत हुई. इसी तरह उत्तरप्रदेश में साल 2013 में 46 और 2019 में 99 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई. पिछले सप्ताह रायबरेली में भी जहरीली शराब से मौत हुई है. पंजाब में साल 2020 में 112, पश्चिम बंगाल में साल 2011 में 172 और महाराष्ट्र में साल 2015 में 102 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी.

शराबबंदी कानून साल 2016 से है लागू
बता दें कि बिहार विधानमंडल के आगामी बजट सत्र में शराबबंदी कानून में संशोधन का प्रस्ताव सरकार सदन में ला सकती है. नई व्यवस्था का मकसद न्यायालय में लंबित मामलों को कम करने के अलावा बड़े शराब माफियाओं और तस्करों को जल्द से जल्द सजा दिलवाना है. गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके तहत शराब बेचने और खरीदने पर प्रतिबंध है, इसका उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.


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