सूरत की रहने वाली मैत्री जरीवाला केमिकल इंजीनियर हैं। रोज सुबह वे अलग-अलग मंदिरों में जाती हैं। पूजा-पाठ करने के लिए नहीं, बल्कि वहां कूड़े के ढेर में पड़े फूलों को कलेक्ट करने के लिए। पिछले एक साल से वो यह काम कर रही हैं। अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर इन फूलों का वे क्या करती हैं? तो जवाब भी जान लीजिए। दरअसल मैत्री इन बेकार फूलों को अपसाइकिल करके साबुन, अगरबत्ती, मोमबत्ती, ठंडई, स्प्रे, वर्मीकंपोस्ट सहित 10 से ज्यादा वैराइटी के प्रोडक्ट बनाती हैं। वो अभी अपने घर पर। इससे हर महीने उन्हें 1.5 लाख रुपए तक की कमाई हो रही है। साथ ही 9 लोगों को उन्होंने नौकरी भी दी है।
आज की पॉजिटिव खबर में जानते हैं कि मैत्री ने इस काम की शुरुआत कैसे की। इसके लिए किन चीजों की जरूरत पड़ी और अब कैसे अपने काम को आगे बढ़ा रही हैं? अगर आप मैत्री की तरह इस तरह का काम करना चाहें तो कैसे कर सकते हैं...
कॉलेज टाइम से ही वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रही थीं
भास्कर से बात करते हुए 22 साल की मैत्री कहती हैं कि कॉलेज के दौरान पहले साल से ही मैं वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। करीब 3 साल तक अलग-अलग तरह के वेस्ट (कूड़ा) को लेकर काम किया। कई तरह के प्रोडक्ट तैयार किए और उनके हर पहलू की एनालिसिस की। इससे मुझे हर तरह के वेस्ट प्रोडक्ट की अच्छी खासी समझ हो गई।
इसके बाद मैंने रियलाइज किया कि बाकी वेस्ट की तुलना में फ्लावर वेस्ट को अपसाइकिल करना और उससे नए प्रोडक्ट बनाना ज्यादा बेहतर है। क्योंकि इसे अपसाइकिल करने में लागत कम आती है और इसकी प्रोसेस आसान होती है। हमने इससे कार्ड और कुछ पेपर भी तैयार किए थे।
मैत्री ने आखिरी सेमेस्टर में फ्लॉवर वेस्ट से कुछ प्रोडक्ट तैयार किए। इसके लिए जरूरी मशीनरी सपोर्ट उन्हें कॉलेज की तरफ से मिला। इसके बाद उन्होंने अपने आसपास के लोगों और दोस्तों से फीडबैक लिया। हर जगह से मैत्री को पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला। कई लोगों ने उन्हें इस काम को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।
77 हजार रुपए की लागत से शुरू किया स्टार्टअप
मैत्री कहती हैं कि फ्लॉवर वेस्ट हमारे आसपास आसानी से मिल जाते हैं। आप किसी भी मंदिर में जाइए या किसी नदी के किनारे जाइए, आपको बड़ी संख्या में बेकार फूल मिल जाएंगे यानी रॉ मटेरियल की कमी नहीं है। इसलिए साल 2021 में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने इसे स्टार्टअप के रूप में आगे बढ़ाने का फैसला लिया। हालांकि तब घरवालों ने थोड़ी नाराजगी दिखाई। वे चाहते थे कि इंजीनियर बेटी इस मंदिर से उस मंदिर तक भटकने की बजाय किसी बड़ी कंपनी में काम करे, अच्छी नौकरी करे, लेकिन बाद में वे लोग भी सपोर्ट करने लगे।
वे बताती हैं कि पिछले साल होली के मौके पर मैंने प्रोफेशनल लेवल पर काम करना शुरू किया। चूंकि होली का मौका था, लिहाजा पहला प्रोडक्ट रंग और गुलाल तैयार किया। इसके लिए सबसे पहले फ्लॉवर वेस्ट कलेक्ट किया। उन्हें घर लाकर सेग्रिगेट किया और फिर सुखाया। इसके बाद ग्राइंड करके पाउडर तैयार किया। इससे अलग-अलग रंग के फूलों के वेस्ट से अलग-अलग रंग और गुलाल तैयार हुए। शुरुआत में कॉलेज की तरफ से हमें 77 हजार रुपए का फंड मिला था। इसी फंड से अपना स्टार्टअप शुरू किया।
सोशल मीडिया से देशभर में कर रही हैं मार्केटिंग
मैत्री कहती हैं कि होली के मौके पर हमारा गुलाल और रंग खूब बिका। सूरत और आसपास के शहरों में हमारा प्रोडक्ट पहुंच गया। इससे मनोबल बढ़ा और हमने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया। रंग-गुलाल के बाद साबुन, अगरबत्ती, मोमबत्ती, स्प्रे, वर्मीकंपोस्ट जैसे प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे हमारे साथ कुछ NGO भी जुड़ते गए। साथ ही माउथ पब्लिसिटी के जरिए एक के बाद एक कई कस्टमर्स हमसे जुड़ते गए।
नवंबर 2021 में मैत्री ने मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू किया। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपने प्रोडक्ट की फोटो-वीडियो अपलोड करने लगीं। धीरे-धीरे उनके फॉलोअर्स बढ़ते गए। फिर प्रमोट करना शुरू किया। इसका फायदा यह हुआ कि सूरत के बाहर से भी उनके प्रोडक्ट की डिमांड आने लगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली सहित कई राज्यों के लोग उनके कस्टमर बन गए। अभी हर दिन 20-25 उन्हें ऑर्डर मिलते हैं।
कैसे तैयार करती हैं प्रोडक्ट?
मैत्री बताती हैं कि मेरे साथ 9 लोगों की टीम है। इसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। जो फ्लॉवर वेस्ट से बेस्ट प्रोडक्ट बनाने का काम करती हैं। जहां तक रॉ मटेरियल की बात है। इसके लिए हमारे साथ कई NGO जुड़े हैं। कई मंदिरों से हमारा टाइअप है। नगर निगम भी हमें सपोर्ट करते हैं। लिहाजा फ्लॉवर वेस्ट की कमी नहीं होती है।
वेस्ट कलेक्ट करने के बाद हम सबसे पहले फूलों की पत्तियों को सुखाते हैं। इसके बाद ग्राइंडर की मदद से उनका पाउडर तैयार करते हैं। इसके बाद उस पाउडर से अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं। कई बार ग्राइंड करने की बजाय हम फूलों के वेस्ट को उबाल लेते हैं। फिर उसे छानकर स्प्रे, ठंडई जैसे प्रोडक्ट बनाते हैं। इसके बाद उसकी लेबलिंग और पैकेजिंग होती है।
अगर मैत्री की तरह आप भी कुछ ऐसा करना चाहते हैं तो चलिए इसकी प्रोसेस समझते हैं....
इस तरह के स्टार्टअप में कमाई का स्कोप भरपूर है, लेकिन इसके लिए प्रॉपर प्लानिंग और तैयारी की जरूरत होती है। सबसे पहले मार्केट रिसर्च करें। आप जिस लोकेशन पर हैं, वहां रॉ मटेरियल है या नहीं। आप रॉ मटेरियल की व्यवस्था कैसे करेंगे? साथ ही यह भी पता करें कि वहां के लोग अभी कौन-कौन से प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। आप उन्हें क्या नया देंगे? उसकी क्वालिटी क्या होगी? ताकि कस्टमर तक अपने प्रोडक्ट पहुंचाने की कोई खास वजह हो। वरना एक बार इस्तेमाल करने के बाद लोग फिर से ऑर्डर नहीं करते हैं। यह भी बेहद जरूरी है कि लगातार कस्टमर्स का फीडबैक लेते रहें और उसके हिसाब से वैल्यू एडिशन करते रहें।
कहां ले सकते हैं ट्रेनिंग?
मैत्री ने फ्लॉवर वेस्ट मैनेजमेंट की कहीं स्पेशल ट्रेनिंग नहीं ली है। उन्होंने चार साल तक इसी प्रोजेक्ट पर काम किया है। कई रिसर्च किए हैं। लिहाजा उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ी। अगर आप इस तरह का काम करना चाहते हैं तो ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट (CIMAP) लखनऊ से आप ट्रेनिंग ले सकते हैं। 2-5 दिनों का कोर्स होता है।
करीब 4 हजार रुपए फीस होती है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट भोपाल से भी ट्रेनिंग ले सकते हैं। साथ ही सोशल मीडिया और यूट्यूब पर इससे रिलेटेड ढेरों वीडियो हैं। उनकी मदद से भी आप यह काम सीख सकते हैं।
लागत और मुनाफे का गणित
अगर छोटे लेवल पर फूलों के वेस्ट से अगरबत्ती,अबीर-गुलाल, साबुन, ठंडई जैसी चीजें आप बनाते हैं तो इसके लिए बहुत ज्यादा बजट की जरूरत नहीं होगी। 50 हजार रुपए से कम लागत में आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन अगर आप प्रोफेशनल लेवल पर यह काम करना चाहते हैं तो कम से कम 2 लाख रुपए की जरूरत होगी, क्योंकि इसमें इस्तेमाल की जाने वाली मशीनें थोड़ी महंगी होती हैं। अगर आप अपने लेवल पर बजट जुटाने में सक्षम नहीं हैं तो किसी इन्क्यूबेशन सेंटर से सपोर्ट ले सकते हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी इसको लेकर सपोर्ट करती हैं।
जहां तक मार्केटिंग और कमाई की बात है। पिछले कुछ सालों से ऑर्गेनिक और होममेड प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है। फूलों के वेस्ट से बने साबुन, शैम्पू, स्प्रे, अगरबत्ती, मोमबत्ती की अच्छी खासी कीमत मिल जाती है। मैत्री के मुताबिक, अगर सबकुछ ठीक रहा तो कम से कम 8 से 10 लाख रुपए सालाना कमाई की जा सकती है।
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