कोरोना काल के दो साल में पहली बार चीन के सभी 31 प्रांतों में संक्रमण फैल गया है। चीन में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के लगभग 62 हजार केस हैं। चीन के कई शहरों में लॉकडाउन के हालात हैं। ऐसे में वहां की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनिपंग की जीरो कोविड नीति फेल साबित हो रही है।
चीन के लगभग 12 हजार सरकारी अस्पतालों में नए रोगियों को भर्ती करने की क्षमता नहीं है। चीन ने कोरोना की पहली लहर के दौरान सख्त लॉकडाउन का नियम बनाया था। इसके तहत एक भी केस आने पर पूरे शहर में लॉकडाउन लगा दिया जाता था। ऐसे में उसके चिकित्सा ढांचे पर काफी असर पड़ा।
चीन में तीन स्तरीय चिकित्सा का मॉडल है। लेकिन, चीन सरकार ने शुरुआती दिनों में ही अपने चिकित्सा मॉडल की जांच बेहतर ढंग से नहीं की। ऐसे में रोगियों में कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रति रोग प्रतिरोध क्षमता ही पैदा नहीं हो पाई। अब जबकि एशिया के प्रमुख देशों में कोरोना के रोगियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, चीन को रिवर्स कोरोना संक्रमण के हालात से गुजरना पड़ रहा है।
शंघाई के 20 हजार बैंकर्स दफ्तरों में ही रह रहे हैं
चीन के बड़े व्यावसायिक हब शंघाई में अगले शुक्रवार तक पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। बैंकिंग आदि अन्य गतिविधियां बाधित नहीं हों, इसके लिए शंघाई के लगभग 20 हजार बैकर्स दफ्तरों में रह रहे हैं। यही सो भी रहे हैं। सरकार की ओर से उनके खाने का इंतजाम किया गया है।
चीन में 88% को टीका, बुजुर्गों में ये केवल 52%
चीन दुनिया के सर्वाधिक टीकाकरण वाले देशों में शामिल है। चीन में 88 फीसदी से अधिक आबादी को कोरोना वैक्सीन की डबल डोज लग चुकी है, लेकिन इसके बावजूद चीन के बुजुर्गों यानी 60 साल से अधिक आयु के लोगों में से मात्र 52 फीसदी को ही डबल डोज लग पाई है।
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