बिहार बोर्ड आज दोपहर 3 बजे मैट्रिक का रिजल्ट जारी कर रहा है। 34 दिन बाद रिजल्ट दिया जा रहा है। भास्कर ने कुछ टॉपर्स से बात की और जाना कि उन्हें बिहार बोर्ड ने कैसे बुलाया और फिर किस प्रक्रिया से उन्हें गुजरना पड़ा। शुरू में ही स्पष्ट कर दें कि ये पूरी खबर उनसे हुई बातचीत पर ही आधारित है। बिहार बोर्ड में 2016 में टॉपर्स घोटाला उजाकर हुआ था और बिहार के एजुकेशन सिस्टम की खूब किरकिरी हुई थी। उसके बाद से बिहार बोर्ड काफी जांचने- परखने के बाद टॉपर्स की सूची जारी करता है।
10-10 एक्सपर्ट के पैनल से गुजरना पड़ा
जानकारी है कि टॉपर्स की जांच के लिए बोर्ड ने 6 सब्जेक्ट के 6 पैनल बनाए थे। इसमें 10-10 शिक्षक थे। इसमें ऐसे शिक्षकों को रखा गया था जो काफी जानकार हों। बोर्ड ने टॉपर्स को 25 मार्च को स्कूल फोन करके या जिन्हें फोन नहीं लगा उन्हें स्कूल के जरिए सूचना देकर बुलवाया और उनकी मेधा की फिर जांच की। नंबर में ये छात्र-छात्राएं अव्वल तो थे। लेकिन इन्हें इससे बड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा। यह इसलिए कि कहीं से भी कोई चूक न हो और टॉपर्स वही हों जो सच में हर तरह से मेधावी हैं। 27 मार्च को इन्हें 10 बजे सुबह विशेषज्ञों के पैनल से गुजरना पड़ा। लगभग 100 स्टूडेंट को बोर्ड ने कॉल किया था। इन्हें लगभग तीन घंटे तक विभिन्न तरह की प्रक्रिया का सामना करना पड़ा।
पहुंचे एक पेरेंट्स के साथ, लेकिन जांच प्रक्रिया से अकेले गुजरना पड़ा
बोर्ड ऑफिस पहुंचने पर सबसे पहले इन्हें सीरियल नंबर दिया गया। कई जगह हस्ताक्षर कराए गए। साथ में एक पेरेंट्स को लाने के लिए कहा गया था, लेकिन पेरेंट्स के बैठने की व्यवस्था बोर्ड ऑफिस में ही दूसरे स्थान पर की गई थी। जांच-परख की प्रक्रिया से स्टूडेंट को अकेले गुजरना था। स्टूडेंट को सीरियल नंबर देने के बाद उनके एडमिट कार्ड, आधार कार्ड आदि की जांच की गई। यही नहीं एक कैमरा पर स्टूडेंट को अपना नाम, पिता और मां का नाम, रौल नंबर, रौल कोड, स्कूल का नाम आदि मौखिक बोलने को कहा गया। इसके बाद स्टूडेंट को एक फाइल दी गई जिस पर बारकोडिंग किया हुआ था। एक बेंच पर इन्हें बैठाकर एक फॉर्म भरवाया गया जिसमें पूरा डिटेल भी भरना था।
मैथ का फॉर्मूला तो पूछा ही सॉल्व भी करवाया
अब बारी थी 10 एक्सपर्ट शिक्षकों की 6 अलग-अलग टीम से गुजरने की। ये एक्सपर्ट स्टूडेंट की सब्जेक्ट से जुड़ी बेसिक की जांच करने लगे। मैथ का फॉर्मूला मौखिक पूछा और साथ में बनवाया भी। इसी तरह फिजिक्स के स्वाल कागज पर बनाने के लिए भी दिए। इंग्लिश में अपने बारे में लिखने को कहा गया। कुछ से संस्कृत के श्लोक पूछे गए। हिंदी में कहानी का नाम बताकर उसके लेखक के बारे में सवाल किया गया। लेखक का नाम लिखवाकर भी देखा एक्सपर्ट ने।
सब्जेक्ट से अलग G.K. से जुड़े सवाल भी पूछे
एक्सपर्ट की टीम ने सिलेबस से जुड़े सवाल तो किए ही साथ ही साथ G.K. से जुड़े सवाल भी पूछे। जैसे कि किसी से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बारे में पूछा गया ? भारत के राष्ट्रपति से संबंधित सवाल भी पूछे गए। रूस- यूक्रेन के बारे में कुछ बता सकते हैं क्या? इन सवालों के जरिए आईक्यू की जांच की गई। सिमुलता के एक स्टूडेंट ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया तो एक एक्सपर्ट ने कहा- सिमुलतला का नाम क्यों डूबा रहे हो ?
ट्रेन, बस या कार से आने वाले को भाड़ा भी दिया
एक्सपर्ट की जांच-परख से गुजरने के बाद स्टूडेंट को दो पैकेट दिए गए। इसमें स्टूडेंट और साथ आए एक पैरेंट्स के लिए नाश्ता था। नाश्ते में दो-दो मिठाई, कचौड़ी, लिट्टी आदि दिए गए थे। स्टूडेंट्स को आने-जाने का भाड़ा दिया गया। इसके लिए बोर्ड ने स्टूडेंट से ही कागज पर पूछा कि आने-जाने में कितना खर्च हुआ ? कोई ट्रेन से आया था, कोई कार रिजर्व करवाकर, कोई बस से तो कोई पटना का स्थानीय था। जिसने जितना भाड़ा लिख कर दिया, उसे बोर्ड ने दिया।
तेज स्टूडेंट्स ने सवालों के साथ इंजॉय किया
10 बजे सुबह से लगभग डेढ़ बजे तक टॉपर्स की जांच परीक्षा चली। लड़कियों के कागजात का वेरिफिकेशन पहले हुआ, लड़कों का बाद में। पहुंचे स्टूडेंट्स में लड़कों की संख्या ज्यादा थी, लड़कियों की कम। कुछ स्टूडेंट स्कूल ड्रेस में पहुंचे थे लेकिन ज्यादातर स्कूल ड्रेस में नहीं थे।
स्टूडेंट्स ने भास्कर से बताया कि जांच करने वाले शिक्षकों या एक्सपर्ट का पैनल काफी सुलझा हुआ था। सवाल बहुत हल्के भी नहीं थे और न काफी भारी भरकम। मेधावी स्टूडेंट्स ने इसे खूब इंजॉय किया लेकिन उन्होंने बताया कि जब तक फाइनल रिजल्ट नहीं आ जाता उनकी धड़कन तेज है।
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