हरियाणा के पानीपत जिले के सिविल अस्पताल के रेबीज इंजेक्शन घोटाले की आखिरकार जांच शुरू हो गई। मामले की जांच करनाल विजिलेंस को सौंपी गई है। करनाल विजिलेंस ने बीते दो दिन में अस्पताल में डेरा डाला। यहां से टीम ने अस्पताल का पूरा रिकॉर्ड खंगाला। यहां से कई दस्तावेज, रजिस्टर, शिकायतकर्ता की शिकायत कॉपी समेत कई तरह का रिकॉर्ड खंगाला है। विजिलेंस टीम ने कई माह पुराना रिकॉर्ड अस्पताल से अपने अंडर लिया है।
जांच-पड़ताल के दौरान एक बात यह अलग रही कि टीम ने बिल्कुल एक कॉमन मैन बनकर इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया। गौरतलब है कि 22 मार्च को सिविल अस्पताल में रेबीज के इंजेक्शन लगाने में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया था। रेबीज विंग में काम करने वाले कर्मचारी लोगों से पैसे लेकर बिना पर्ची के रेबीज के इंजेक्शन लगाते मिले थे। एक ही दिन में ऐसा 15 लोगों के साथ किया गया था। पीएमओ डॉ. संजीव ग्रोवर ने मामले की जांच डिप्टी एमएस को सौंपी थी।
डिप्टी एमएस डॉ. अमित पौरिया ने बताया कि विजिलेंस टीम आई थी। टीम अपने साथ कुछ रिकॉर्ड लेकर गई है। इस मामले की अस्पताल टीम के अलावा विजिलेंस टीम जांच कर रही है।
यह कहा था शिकायतकर्ता ने
भारत नगर से इंजेक्शन लगवाने पहुंचे मनोहर व गांव गढ़ी बेसिक निवासी अमरीश ने 22 मार्च को पीएमओ को शिकायत देते हुए कहा था कि उन्होंने अस्पताल से रेबीज के चार इंजेक्शन लगवाए हैं। उनसे हर इंजेक्शन के 100 रुपए लिए गए हैं, लेकिन उन्हें इस संबंध में कोई पर्ची नहीं दी गई। कर्मचारियों ने ये पैसे अपनी जेब में डाल लिए हैं।
ये कर्मचारी सभी रोगियों के साथ ऐसा ही कर रहे हैं। सिविल अस्पताल व समालखा अस्पताल को छोड़कर किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल रेबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। निजी अस्पतालों में रेबीज इंजेक्शन की फीस 300 रुपए है। इसलिए दूर-दूर से लोग इंजेक्शन लगवाने सिविल अस्पताल में पहुंचते हैं। सिविल अस्पताल में हर रोज 25-30 लोगों को इंजेक्शन लगते हैं। लोगों का आरोप है कि 1200-1500 रुपयेएकर्मचारी अपनी जेब में डालते हैं। रिकॉर्ड में कम इंजेक्शन चढ़ाते हैं।
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