मासूमों में इंसेफेलाइटिस का खतरा:गर्मी के साथ बच्चों की बीमारी का टेंशन, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट - Everything Radhe Radhe

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Tuesday, 5 April 2022

मासूमों में इंसेफेलाइटिस का खतरा:गर्मी के साथ बच्चों की बीमारी का टेंशन, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट

 

गर्मी के साथ अब बच्चों की बीमारी की चिंता बढ़ गई है। जापानी इंसेफ्लाइटिस और एक्यूट इंसेफ्लायटिस सिंड्रोम को लेकर सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है। राज्य में बच्चों में वैक्सीनेशन के साथ इलाज को लेकर तैयारी की जा रही है। गर्मी कमें बच्चों पर कहर बनकर आने वाली इस बीमारी को लेकर हर स्तर पर ट्रैक तैयार किया जा रहा है। सुरक्षा के साथ बीमारी होने पर इलाज की भी व्यवस्था की जा रही है। आइए जानते हैं सरकार की सुरक्षा का प्लान।

एक्यूट इंसेफ्लायटिस सिंड्रोम का खतरा

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में एक्यूट इंसेफ्लायटिस सिंड्रोम (एईएस) की संभावना बढ़ गई है। इसे देखते हुए रोकथाम व उचित इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है। बीमारी के खतरे की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्यकर्मियों व चिकित्सकों को विशेषज्ञाें द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। राज्य के सभी जिलों में इस गंभीर बीमारी से पूर्व स्वास्थ्य महकमा तैयारियों में लगा है। इसके साथ ही सभी अस्पतालों में विभाग संसाधन में जुट गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि हर साल गर्मी के मौसम में कई बच्चे एईएस की चपेट में आ जाते हैं। इस बीमारी से लड़ाई के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

आपात स्थिति के लिए प्रशिक्षण

स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में चिकित्सा पदाधिकारियों एवं पारामेडिकल स्टाफ का एक प्रशिक्षण पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में कराया है। इन चिकित्सकों को बीमारी से लड़ने के लिए ट्रेंड किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें इस बात की जानकारी दी गई कि इस बीमारी की रोकथाम कैसे करें और इसकी चपेट में आने पर कैसे इलाज किया जाए। इस बीमारी के इलाज में देरी से खतरे की संभावना बढ़ जाती है। चपेट में आने वालों में ज्यादातर कम उम्र के बच्चे होते हैं। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि किन परिस्थितियों में बच्चें को बड़े अस्पतालों में रेफर करना है। किस प्रकार उनका प्रारंभिक उपचार हो और उसके सैंपल की तुरंत जांच की जाए। यदि बदन में गर्मी ज्यादा है तो कैसे कम किया जाए और तापमान को नियंत्रण में लाया जाए। किन-किन परिस्थितियों में क्या बेहतर उपाय हो सकते हैं, इसकी भी जानकारी भी दी गई है।

38 जिलों में दो दो डॉक्टरों की तैनाती

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि एईएस के नियंत्रण को लेकर राज्य के सभी 38 जिलों से दो-दो डॉक्टर एवं दो-दो पारा मेडिकल स्टाफ को दो चरणों में मास्टर टीओटी का प्रशिक्षण दिया गया है। यह सभी अपने-अपने जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों व चिकित्सा पदाधिकारियों को बीमारी के बेहतर उपचार की जानकारी से अपडेट कर रहे हैं।

टीका को लेकर राज्य में अलर्ट

राज्य सरकार ने जापानी इंसेफ्लाइटिस से बचाव को लेकर वैक्सीनेशन पर अलर्ट मोड है। इसके लिए गांव से लेकर शहर तक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इस गंभीर बीमारी को लेकर बताया कि स्वास्थ्य विभाग राज्य के 12 जिलों में (जापानी इंसेफ्लायटिस) जेई टीके से वंचित लाभार्थियों को विशेष अभियान चलाकर वैक्सीनेट करेगी। इसके तहत दरभंगा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, सारण, शिवहर, सीतामढ़ी, सिवान और वैशाली में नियमित टीकाकरण के अंतर्गत जेई-एक एवं जेई-दो की वैक्सीन दी जाएगी। इस बड़े मिशन के लिए आशा द्वारा सत्रवार सर्वे कर 9 माह से 10 वर्ष तक के वंचित सभी बच्चों की सूची तैयार कराया जाएगा।

राज्य में तैयार कराई जा रही सूची

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आशा द्वारा सूची तैयार कराने के बाद उसका सत्यापन किया जाएगा फिर इसका सर्टिफिकेशन आशा फैसिलिटेटर द्वारा लिया जाएगा। वह देखेंगीं कि क्षेत्र में 9 माह से 10 वर्ष तक के जेई-एक तथा जेई-दो टीका से वंचित सभी बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए सूची में शामिल कर लिया गया है या नहीं। आशा फैसिलिटेटर से सर्टिफिकेशन के बाद प्रखंड स्तर से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड हेल्थ मैनेजर तथा जिला सामुदायिक उत्प्रेरक द्वारा अपने संबंधित क्षेत्र के कम से कम 10 प्रतिशत क्षेत्रों के सर्वे के सत्यापन की जांच की जाएगी।

हर स्तर पर होगा सर्वे

सूची तैयार कराने के जिला स्तर से भी उक्त सर्वे के सत्यापन की जांच जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा करा कर आश्वस्त किया जाएगा कि सर्वे का कार्य सही से हुआ है या नहीं। सर्वे कार्य के उपरांत चिह्नित लाभार्थियों का नियमित टीकाकरण के लिए निर्धारित सत्रों पर समयानुसार जेई- एक एवं जेई-दो का टीका दिया जाएगा। इसके बाद जिले में जापानी इंसेफ्लायटिस के टीका से सभी छूटे बच्चों को प्रतिरक्षित कर राज्य को सूचित किया जाएगा। पूर्ण टीकाकरण प्रत्येक शिशुओं का अधिकार है। विभाग का कहना है कि वह शिशुओं के संपूर्ण नियमित टीकाकरण के लिए प्रयासरत है और इसमें तेजी लायी जा रही है।

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