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Wednesday, 6 April 2022

गेंदे की खेती से कमा रहे डेढ़ लाख रुपए मंथली:डिफेंस में नौकरी नहीं लगने पर शुरू की फूलों की खेती, यूट्यूब से सीखा तरीका

 बिहार समेत भारत में रात-दिन नौकरी के चक्कर में युवा वर्ग दर-दर भटक रहे हैं। भोजपुर के दीपक की भी नौकरी नहीं लगी थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फूलों से अपने जीवन को गुलजार किया। दीपक ने डिफेंस में नौकरी न लगने पर परंपरागत खेती से हटकर गेंदा फूल की खेती शुरू की। आज वह चरपोखरी में गेंदे की कई प्रजाति की खेती कर फेस्टिवल सीजन में रोजाना 5 हजार रुपए कमा रहे हैं।

बेनुआ टोला निवासी उपेंद्र कुमार के 24 वर्षीय पुत्र दीपक कुमार को डिफेंस में जाने का मन था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कई परीक्षाएं भी दी। बहाली के लिए दौड़ भी लगाई लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी। जब उनकी नौकरी नहीं लगी और उन्हें इस क्षेत्र में कोई आशा नजर नहीं आई तो वे अपने घर लौटे। हालांकि दीपक का परिवार कई वर्षों से परंपरागत खेती गेंहू, धान जैसी फसलों का उत्पादन करता रहा। लेकिन इन सारी परम्पराओं को छोड़ दीपक ने कुछ अलग सोचा और मालगुजारी पर खेत लेकर गेंदे के फूल की खेती आरंभ की।

कोरोना के दौरान ढाई बिगहे में लगे फूल की खेती हुई बर्बाद

दीपक ने कोरोना काल 2020 से दो महीने पहले ढाई बिगहे में गेंदा फूल के चार प्रजाति की खेती की लेकिन लॉकडाउन के कारण मंदिर, मस्जिद, शादी समारोह समेत अन्य पार्टी पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद ढाई बिगहे में लगे करीब एक लाख रुपए लागत वाले फूल पूरी तरह बर्बाद हो गए।

इस दौरान तो दीपक थोड़े मायूस और परेशान हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। एक बार ढाई बिगहे में फिर से गेंदे फूल के पौधे लगाए। आज ऑफ सीजन में वो प्रति दिन 12 सौ से 15 सौ रुपए और लगन, पर्व-त्योहार में चार हजार से 5 हजार कमा रहे हैं। इतना ही नहीं आसपास के युवकों के लिए अब वे प्रेरणा भी बन गए हैं।

बिहार के कई इलाकों में होती है फूल की सप्लाई

प्रतिदिन खेतों से ताज़ा फूलों को निकाल कर नोखा, विक्रमगंज, सासाराम, डिहरी, कैमूर भभुआ, बक्सर,आरा, पीरो, बबुरा, पटना के कुछ इलाकों में फूलों की सप्लाई होती है। धार्मिक और मांगलिक अवसर पर फूलों की डिमांड और भी ज्यादा बढ़ जाती है। दीपक के फूलों की डिमांड मांगलिक कार्यों, धार्मिक अनुष्ठानों, सामाजिक आयोजनों, सरकारी कार्यक्रम समेत कई कार्यक्रमों में होती है। चैत नवमी और लगन की शुरुआत होते ही फूलों की एडवांस डिमांड बढ़ जाती है।

दीपक बताते है कि नौकरी के लिए बहुत बार कोशिश की लेकिन नहीं लगी। परिवार का पालन-पोषण करना है तो कुछ करना ही होगा। मेरे पिता जी गेंहू, धान की खेती करते थे। हमने सोचा कि ये सब तो साल में एक बार ही होता है। क्यों न इस परंपरा से हट कुछ अलग करें। लॉक डाउन के समय शुरुआत की फूलों की खेती भी अच्छी हुई। लेकिन प्रतिबंध होने के कारण सारा बर्बाद हो गया। फिर भी हिम्मत नहीं हारी फिर से कुछ नया किया और आज इस मुकाम पर हैं। आगे गुलाब, रजनी गेंदा जैसे कई फूलों की खेती करेंगे।

फूलों की खेती यूट्यूब से देख कर सीखा

दीपक ने बताया कि फूलों की खेती यूट्यूब से देख कर सीखी। वे उसकी सेवा यूट्यूब से देखकर ही करते हैं। किसान गेंदे के फूलों की खेती से साल में चार फसलें लेकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्नत बीज वाले गेंदे की बारहों मास खेती की जा सकती है। हाइब्रीड गेंदा जनवरी में लगाकर तीन माह के भीतर मार्च से इसमें कमाई होने लगती है जो सिलसिला जून तक चलता है। उसके बाद जुलाई में बरसाती देसी गेंदे की खेती शुरू की जा सकती है। यह गेंदा दीपावली तक अच्छी कमाई देने लगता है। उसके बाद जनवरी तक छोटे गेंदे, गुट्टी फूल की खेती शुरू की जा सकती। फूलों की खेती के माध्यम से होने वाली कमाई से दीपक की जिंदगी महक उठी है। अब वे फूलों की खेती का विस्तार करने की सोच में हैं। अब दीपक किसी के पहचान की मोहताज नहीं हैं। दीपक अपने गांव और पंचायत में फूल वाले दीपक के नाम से जाने जाते हैं।

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