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Friday, 10 June 2022

Prophet Controversy Row: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की अपील, टीवी डिबेट में हिस्सा ना लें उलेमा और तमाम मुस्लिम

 

Prophet Controversy Row: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के उलेमाओं और तमाम मुस्लमानों से यह अपील की है कि वह टीवी डिबेट में हिस्सा ना लें. जानिए इसके क्या बोला है बोर्ड... 

Prophet Controversy Row: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की अपील, टीवी डिबेट में हिस्सा ना लें उलेमा और तमाम मुस्लिम

Rrophet Controversy Row: पूर्व बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी के बाद से ही देश और दुनिया भर में इसे लेकर नाराजगी जताई जा रही है. आज शुक्रवार कोक इस मामले में देश के कई शहरों में माहौल खराब हो गया. दिल्ली, सहारनपुर, प्रयागराज, लुधियाना, मुंबई, हावड़ा, तेलंगाना और मुरादाबाद में जुमे की नमाज के बाद भीड़ सड़कों पर उतर आई और खूब हंगामा हुआ. इस सबके बीच अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक पत्र जारी करके उलेमाओं और देश के मुसलमानों से एक अपील की है. जिसमें उन्होंने सभी से टीवी डिबेट में शामिल ना होने की बात कही है. 

क्या बोला AIMPLB 

अपने इस पत्र में AIMPLB ने कहा कि उलेमा, मौलाना उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में भाग न लें जिनका उद्देश्य केवल इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है. AIMPLB के मुताबिक ऐसा करके वह अपने धर्म का मजाक बनाते हैं. 

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव ने दिया बयान 

दरअसल इस पत्र के जरिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने प्रेस नोट में कहा है कि बोर्ड अध्यक्ष मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ हसनी नदवी, उपाध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी, मौलाना काका सईद अहमद उमरी, मौलाना सैयद शाह फखरुद्दीन अशरफ, मौलाना सैयद अरशद मदनी, डॉ. सैयद अली मुहम्मद नकवी ने अपने संयुक्त बयान में उलेमा और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे उन टीवी चैनलों की बहस और डिबेट्स में भाग न लें जिनका उद्देश्य केवल इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उनका मजाक उड़ाना है. 

षड्यंत्र का ना बनने की सलाह

इस पत्र में आगे कहा गया है कि कार्यक्रमों में भाग लेकर वे इस्लाम और मुसलमानों की कोई सेवा नहीं कर पाते बल्कि परोक्ष रूप से इस्लाम और मुसलमानों का अपमान और उपहास ही करते हैं. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य रचनात्मक चर्चा के माध्यम से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना नहीं है बल्कि इस्लाम और मुसलमानों का उपहास करना और उन्हें बदनाम करना है. ये चैनल्स अपनी तटस्थता साबित करने के लिए एक मुस्लिम चेहरे को भी बहस में शामिल करना चाहते हैं. हमारे उलेमा और बुद्धिजीवी अज्ञानतावश इस षड्यंत्र के शिकार हो जाते हैं. यदि हम इन कार्यक्रमों और चैनलों का बहिष्कार करते हैं तो इससे न केवल उनकी टीआरपी कम होगी बल्कि वे अपने उद्देश्य में बुरी तरह विफल भी होंगे.

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