Recumbent Cycle: आज हम आपको एक अनोखी साइकिल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके पैडल नीचे की तरफ नहीं बल्कि हैंडल के पास हैं. इस तरह की देश में केवल तीन ही साइकिल हैं.
Recumbent Cycle: डॉक्टर्स साइकिल चलाना शरीर के लिए फायदेमंद बताते हैं. आपने कई तरह की साइकिल देखी होंगी. साइकिल चलाने के लिए पैडल का इस्तेमाल किया जाता है. आम तौर पर पैडल साइकिल के नीचे की तरफ होते हैं. लेकिन आज हम आपको एक अनोखी साइकिल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके पैडल हैंडल के करीब 25 सेंटीमीटर ऊपर हैं.
देश में ऐसी हैं केवल 3 साइकिल
जानकारी के मुताबिक, देश में इस तरह की केवल 3 ही साइकिल हैं, जिसका नाम Recumbent है. अब ये साइकिल सिटी Of Joy यानी कोलकाता में भी आ गई है. यह एक ऐसी साइकिल है, जिसका पैडल हैंडल के करीब 25 सेंटीमीटर ऊपर होता है. इसका पैडल, जो इस साइकिल को चलाते हैं उनके कंधे की ऊंचाई के आसपास होता है. लेकिन इसके बावजूद यह साइकिल हाथ से नहीं बल्कि पैरों से ही चलाई जाती है.
साइकिल को चलाने का तरीका
जो इस साइकिल को चलाएंगे वो लगभग इसकी सीट पर आधा लेटकर ही चला सकते हैं. बिल्कुल relaxed position में अपनी पीठ को back seat के सहारे टिकाकार इस साइकिल को चला सकते हैं. इतना ही नहीं ऐसी अवस्था में साइकिल को चलाने के बाद इसकी सर्वोच्च speed 80 किलोमीटर प्रति घंटा टाक मापी गई है.
इस साइकिल के फायदे
Recumbent साइकिल का इस्तेमाल करने से कैलोरी बर्न होती है, जिससे आप अपने पेट सहित पूरे शरीर का वजन कम कर सकते हैं. कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज, जैसे Recumbent साइकिल, और पेट को मजबूत करने वाले व्यायाम के संयोजन का उपयोग करने से आपके पेट की मांसपेशियों को मजबूत और समतल करने में मदद मिलेगी. इस साइकिल को चलाने से आपके कमर के दर्द, घुटनों के दर्द और एड़ियों के दर्द से भी आराम मिलता है.
कहां मिलती है ये साइकिल
इस साइकिल को आम तौर पर यूरोप में ही देखा गया है और भारत में केवल 3 ही ऐसी साइकिल मौजूद हैं. देश के किसी भी शोरूम में इस साइकिल की बिक्री नहीं होती और ना ही देश की किसी फैक्ट्री में इसका निर्माण होता है. लेकिन इस साइकिल को जिसने बनाया है वो इसी देश के हैं और उनका नाम सजल राय है.सजल ने Recumbent साइकिल का वीडियो देख कर इसका निर्माण खुद ही कर डाला. बाकी दो साइकिल पंजाब और तमिलनाडु में हैं और अब तीसरी कोलकाता में भी आ गई.
भारतीय ने ही किया है निर्माण
सजल राय ने बताया कि देश में लॉकडाउन लगने से पहले उनका पेशा मिटटी, फाइबर और crystal टाइल्स से मूर्ति और मिनिएचर बनाने का था, लेकिन कोरोना ने उनके काम पर असर डाला. उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा. कोरोना ने उन्हें घर पर बैठने को मजबूर कर दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने उस समय का सदुपयोग किया. साइकिल का नशा उनको पहले से था और उसी दौरान उन्होंने Recumbent साइकिल को लेकर research शुरू कर दी. जब उन्होंने इस अद्भुत साइकिल के बारे में पढ़ा. इधर उधर घूम कर उन्होंने विभिन्न racing साइकिल के पार्ट्स को इकठ्ठा करना शुरू किया और केवल 18 दिनों में ही 63 साल के सजल राय ने देश की तीसरी Recumbent साइकिल बना डाली.
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