प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित 5 प्रतिष्ठित स्कूलों के करीब 200 बच्चों पर पुलिस ने गैंग बनाकर हिंसक घटनाओं को अंजाम देने आरोप लगाया है। पुलिस के अनुसार गैंग बनाने वाले ये स्कूली बच्चे पिछले महीनों हुए 6 बम हमलों में शामिल थे। सीनियर पुलिसकर्मी के अनुसार इन सभी ने ऑनलाइन कच्चे कम (Crude Bomb) बनाने की ट्रेनिंग ली थी। पुलिस तलाश में जुटी हुई है।
प्रयागराज पुलिस के अनुसार इन बच्चों ने 'तांडव', 'माया' और 'इम्मोर्टल्स' नामक गैंग बनाई हैं। पुलिस ने इनमे से 35 को पकड़ा है, जिनमें से 27 नाबालिग हैं। इनके पास से कई मोटरसाइकिल, 10 से ज्यादा सेलफोन और कुछ बम बरामद किए गए हैं। पुलिस के अनुसार ये बच्चे बम बनाकर एक दूसरे की गैंग के लोगों पर फेंका करते थे। सभी आरोपी मोटरसाइकिल से ऐसी घटनाओं को अंजाम देने निकलते थे और हर बार इनके चहरे ढंके हुए होते थे। पुलिस का कहना है कि 15, 16 और 22 जुलाई को शहर के विभिन्न इलाकों में हुए बम हमलों में इन बच्चों का हाथ था।
एसएसपी प्रयागराज पुलिस ने बताया कि इन बच्चों ने अपनी-अपनी गैंग के नाम से सोशल मीडिया पेज भी बनाया था, जिसपर ये बम ब्लास्ट की फोटो शेयर करते हुए दूसरी गैंग पर दबदबा कायम करने की कोशिश करते थे। पुलिस ने प्रयागराज में हुए 6 हमलों की शुरूआती जांच में पाया था कि इनमें यूपी की बड़ी क्रिमिनल गैंग्स का हाथ है, लेकिन अब पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि इन्हें स्कूली बच्चों ने ही अंजाम दिया था।
एसएसपी ने कहा कि हम स्कूल प्रशासन के जरिये इन बच्चों के परिवारों तक पहुंचने की भी कोशिश कर रहे हैं, जिससे इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। पुलिस ने अपनी विशेष टुकड़ियों को इस काम में लगाया है।
प्रयागराज के एक सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अभय अवस्थी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की गैंगवॉर्स में कच्चे बमों के इस्तेमाल का इतिहास तीन दशक पुराना है। 1971 में नक्सलियों द्वारा स्थानीय लोगों को इन बमों को बनाने की ट्रैनिंग दी जाती थी। ये चलन आज भी बना हुआ है क्योकि शहर में इससे बनाने का सामान आसानी से मिल जाता है। हालांकि, इस मामले में पुलिस को आशंका है कि बच्चों ने ऑनलाइन वीडियो देखकर बम बनाना सीखा होगा।
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