आजाद भारत के पहले PM तो नेहरू बने, लेकिन कैबिनेट मंत्री कौन थे? जानें कैसा दिखता था पहला मंत्रिमंडल - Everything Radhe Radhe

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Friday 12 August 2022

आजाद भारत के पहले PM तो नेहरू बने, लेकिन कैबिनेट मंत्री कौन थे? जानें कैसा दिखता था पहला मंत्रिमंडल

 

India after Independence: आइए याद करते हैं उस भारत को जिसने आजादी की यह हवा नई-नई देखी थी. भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद तो हो गया था, लेकिन किसी भी देश को चलाने के लिए एक सरकार की जरूरत होती है जो देशहित और जनता के हित में फैसले ले सके.

आजाद भारत के पहले PM तो नेहरू बने, लेकिन कैबिनेट मंत्री कौन थे? जानें कैसा दिखता था पहला मंत्रिमंडल

India after Independence: भारत को आजाद हुए 75 साल होने वाले हैं. इस साल 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इस बार का स्वतंत्रता दिवस कई मायने में खास होने जा रहा है. सरकार इस अवसर को खास बनाने के लिए काफी कोशिश भी कर रही है. सालभर पहले से ही आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. 

ऐसे में आइए याद करते हैं उस भारत को जिसने आजादी की यह हवा नई-नई देखी थी. भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद तो हो गया था, लेकिन किसी भी देश को चलाने के लिए एक सरकार की जरूरत होती है जो देशहित और जनता के हित में फैसले ले सके. 1947 में जब हमारा देश आजाद हुआ था तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू को चुना गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजाद भारत का पहला मंत्रिमंडल कैसा था? आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं..

ये थे आजाद भारत के पहले कैबिनेट मंत्री

ये तो सभी जानते हैं कि पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ही बने थे. लेकिन उस दौर में सरदार वल्लभ भाई पटेल का भी अहम रोल था. इसलिए उन्हें उप प्रधानमंत्री बनाया गया साथ ही गृह मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई. उनके अलावा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को खाद्द एवं कृषि मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया. वहीं रेल और परिवहन विभाग डॉक्टर जॉन मथाई को दिया गया. सरदार बलदेव सिंह को रक्षा मंत्री के रूप में चुना गया. वित्त मंत्रालय का दायित्व आर.के.शनमुखम शेट्टी को दिया गया. इनके अलावा भीमराव अंबेडकर को विधि मंत्रालय सौंपा गया. राजकुमारी अमृत कौर को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. जनसंघ के संस्थापक रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आपूर्ति विभाग सौंपा गया. जगजीवन राम को श्रम मंत्रालय का कार्यभार संभालने को दिया गया. संचार मंत्री के रूप में रफी अहमद किदवई को चुना गया. वहीं खनन एवं ऊर्जा मंत्रालय वी एन गाडगिल को बनाया गया. 

जब कमजोर पड़े अंग्रेज

बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेज काफी कमजोर हो गए थे. वे भारत को गुलाम बनाने के लिए सक्षम नहीं थे. ये वो दौर था जब भारत के लोगों के सीने में आजादी की आग भी तेजी से धधक रही थी. उस कठिन समय को देखते हुए अंग्रेजों ने भारत को छोड़ने का फैसला किया.

आजादी से पहले ही बन गई थी अंतरिम सरकार 

साल 1946 में भारत को आजाद करने का फैसला लिया गया. लेकिन पूरी तरह से देश हमारा आजाद नहीं हुआ था. हालांकि भारत के आजाद होने से पहले 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा बनाई गई थी. इस अंतरिम सरकार में सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, रामगोपालचारी, आसफ अली, शरद चंद्र बोस, जॉन मथाई जगजीवन राम, अली जाहिर और सीएच भाभा शामिल थे. लेकिन उस समय देश में एक तरफ संप्रदायिक दंगे जगह-जगह हो रहे थे. 

अलग देश की मांग

देश में मुस्लिम लीग ने एक अलग आग लगाई हुई थी. मुस्लिम लीग ने नए देश बनाने की मांग की और इसके साथ मुस्लिमों को नए देश बनाने के लिए एक मुहिम छेड़ने की ऐलान कर दिया. जिसके बाद देश के हर कोने में हिंदू मुस्लिम आपस में एक दूसरे को काटते रहे. वहीं दूसरी तरफ भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन सभी सांप्रदायिक दंगों को रोकने के प्रयास में लगे हुए थे लेकिन जिन्ना अलग ही रट लगाए हुए थे. उनकी मांग थी कि मुस्लिमों को अलग देश मिले.

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